8 मार्च 2015 जनसत्ता मेँ श्री अशोक वाजपेयी: हिंदी समाज को अरविंद कुमार का कृतज्ञ होना चाहिए कि उन्होँ ने ऐसा अद्भुत कोश बनाया

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8 मार्च 2015 के जनसत्ता मेँ प्रसिद्ध कवि-लेखक-विचारक श्री अशोक वाजपेयी

हिंदी समाज को अरविंद कुमार का कृतज्ञ होना चाहिए कि उन्होँ ने ऐसा अद्भुत कोश बनाया

नया उत्तम कोश

बरसोँ से हम हिंदी लेखक फ़ादर कामिल बुल्के के अँगरेजी-हिंदी कोश को ही प्रामाणिक मान कर उस की सहायता लेते रहे हैँ. कई बार उस मेँ सटीक पर्याय नहीँ भी मिलते, पर कुल मिला कर वह बड़ा मददगार कोश रहा है. इधर अरविंद लिंग्विस्टिक्स प्रा लि द्वारा अरविंद वर्ड पावर: इंग्लिश-हिंदी डिक्शनरी नाम से 1360 पृष्ठोँ का हाथ लगा, जिसे कोश निर्माण मेँ दशकों से लगे पचासी-वर्षीय लेखक संपादक कोशकार अरविंद कुमार ने बिना किसी संस्था की मदद से विशुद्ध स्वाध्याय और श्रद्धानुराग से बनाया है. इस कोश मेँ वह निश्चय ही अपने ढंग का एक क्लासिक है. 6,70,000 से अधिक शब्द हैँ. पर्यायवाची और विपर्यायवाची शब्द भी दोनोँ भाषाओँ में साथ साथ दिए गए हैँ. लगभग पचास हज़ार समान और ग्यारह हज़ार प्रतिकूल अवधारणाएँ भी दी गई हैँ. कोश भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन और अवधारणाओँ को यथास्थान शामिल कर बनाया गया है. औरक इस अर्थ मेँ भारत-केंद्रित है. यह समावेशिता, वह भी कोश मेँ, मेरे जाने अभूतपूर्व है. योँ तो गहरे औऱ लंबे इतिहासबोध से संपन्न नामवर सिंह हर वर्ष पाँच सात पुस्तकोँ पत्रिकाओँ आयोजनोँ को ऐतिहासिक क़रार देते हैँ. पर मेरी राय मेँ, अरविंद कुमार का यह सुशोभित-सुरचित कोश निश्चय ही हमारी भाषा के लिए एक ऐतिहासिक घटना है. हिंदी समाज को अरविंद कुमार का कृतज्ञ होना चाहिए कि उन्होँ ने ऐसा अद्भुत कोश बनाया है.

clip_image002[4]इस कोश का एक उल्लेखनीय पक्ष यह है कि इस मेँ बोलचाल मेँ प्रचलित बोलियोँ से आए शब्दोँ को भी जगह दी गई है. ऐसे शब्द भी काफ़ी हैँ, जो उर्दू फ़ारसी अऱबी, अँगरेजी आदि से आ कर हिंदी मेँ ज़ज्ब हुए हैँ. ऐसे किसी भी कोश को एक स्तर पर हिँदी की अद्भुत समावेशिता का संकलन होना चाहिए – यह कोश ऐसा है. उस से यह भी बख़ूबी प्रकट होता है कि हिंदी का चौगान और हृदय कितना चौड़ा है और कहाँ कहाँ तक फैला है. हिंदी का राजभाषा रूप उसे संकीर्ण और दुर्बोध बनाता रहा है: यह कोश एक तरह से इस का प्रतिरोध करता है. हिंदी के अपने उदार स्वभाव को तथ्य और शब्द-पुष्ट करता है.

हीरोइक पोएट्री के समानार्थी हिंदी शब्द योँ दिए गए हैँ – आल्हा, कड़खा, कीर्तिगाथा, पँवाड़ा, विरुदावली, वीरगाथ, शूरश्लोक, संघर्षकथा. संदर्भ शब्द – महाकाव्य और युद्धगीत भी.

गॉड शब्द के समानार्थी शब्द हैँ – अंतर्यामी, अखिलेश, अल्लाह, अहुरमज्द, ऊपरवाला,. ख़ुदा, गॉड ,जगदीश, जिहोवा, त्रिलोकीनाथ, पतितपावन, परब्रह्म, परमपिता, परमब्रह्म, परमात्मा, परमेश्वर, प्रभु, भगवान, मालिक, रब, विधाता, साह्य, स्रष्टा, स्वामी, हक़ताला. हो सकता है कि कहीँ कभी आप को कोश से असंतोष हो, पर यह उस की उपलब्धि और महत्व को, उस की उपयोगिता को क़तई घटाता नहीँ है, 1360 पृष्ठोँ के इस कोश का मूल्य सिर्फ़ 595 रुपए है.

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